मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कर भोजन को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनाएं।
मिट्टी के अंदर मौजूद १८ प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व भोजन को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनती है।
हजारों वर्षों से हमारे यहाँ मिट्टी के बर्तनों का उपयोग
होता आया है अभी कुछ वर्षों पूर्व तक गाँवों में वैवाहिक कार्यक्रमों में
तो मिट्टी के बर्तन ही उपयोग में आते थे। घरों में दाल पकाने, दूध गर्म
करने, दही जमाने, चावल बनाने और अचार रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का
उपयोग होता रहा है। मिट्टी के बर्तन में जो भोजन पकता है उसमें सूक्ष्म
पोषक तत्वों की कमी नहीं होती जबकि प्रेशर कुकर व अन्य बर्तनों में भोजन
पकाने से सूक्ष्म पोषक तत्व कम हो जाते हैं जिससे हमारे भोजन की पौष्टिकता
कम हो जाती है। भोजन को धीरे-धीरे ही पकना चाहिये तभी वह पौष्टिक और
स्वादिष्ट पकेगा और उसके सभी सूक्ष्म पोषक तत्व सुरक्षित रहेंगे ।
महर्षि वागभट्ट जी के अनुसार भोजन को पकाते समय उसे सूर्य का
प्रकाश और पवन का स्पर्श मिलना आवश्यक है जबकि प्रेशर
कुकर में पकाते समय भोजन को ना तो सूर्य का प्रकाश और ना ही पवन का स्पर्श
मिल पाता, जिससे उसके सारे पोषक तत्व क्षींण हो जाते हैं । और
प्रेशर कुकर एल्यूमीनियम का बना होता है जो कि भोजन पकाने
के लिये सबसे घटिया धातु है क्योंकि एल्यूमीनियम भारी धातु होती है और यह
हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थ के रूप में बाहर नहीं निकल पाती है । इसी
कारण एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग करने से कर्इ प्रकार के गंभीर रोग
होते हैं जैसे अस्थमा, वात रोग, टी.बी. मधुमेह (डायबिटीज), पक्षाघात (पेरेलिसिस), स्मरण शक्ति का कम होना आदि! वैसे भी भाप के दबाव से भोजन उबल जाता है पकता नहीं है।
आयुर्वेद के अनुसार जो भोजन धीरे-धीरे पकता है वह भोजन सबसे अधिक
पौष्टिक होता है । भोजन को शीघ्र पकाने के लिये अधिक तापमान का उपयोग करना
सबसे हानिकारक है।
हमारे शरीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व चाहिए जो मिट्टी
से ही आते है। जैसे- Calcium, Magnesium, Sulphur, Iron, Silicon, Cobalt,
Gypsum आदि। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहाँ पुरी के
मंदिरों (उड़ीसा) के अलावा कर्इ मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में
प्रसाद बनता है। अधिक जानकारी के लिए पुरी के मंदिर की रसोर्इ देखें।
मैंने तो स्वयं अपने घर में प्रतिदिन मिट्टी की हांड़ी में सब्ज़ी, दूध आदि पकाने की शुरुवात कर दी है।
और मेरा आपसे भी आग्रह है की एक बार आप भी अपने घर में मिट्टी की हांड़ी में सब्ज़ी पका कर देखिये आप खुद फर्क महसूस करेंगे।
स्रोत:
No comments:
Post a Comment