परिचय 紹介

・日本語訳もあります。

हमारा लक्ष्य 

हमारा लक्ष्य है कि हम आयुर्वेद, प्राणायाम और योग का सही ज्ञान सभी लोगों तक पहुंचाएं जिसका दैनिक जीवन में उपयोग कर सभी अपने जीवन को स्वस्थ व निरोगी बना सकें।

ミッション

我々のミッションは、アーユルヴェーダ、プラナヤムとヨーガの正しい知識を皆様にお伝えし、それらを日常生活に活かしながら、健康的な人生を送ってもらうことです。

आयुर्वेद परिचय

भारत में जिस शास्त्र की सहायता से निरोगी होकर जीवन व्यतीत करने का ज्ञान मिलता है उसे आयुर्वेद कहते है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद की रचना ईसा पूर्व ३,००० से ५०,००० वर्ष पहले यानि सृष्टि की उत्पत्ति के आस-पास या साथ हुई है। आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है। रोगी होकर लम्बी आयु को प्राप्त करना या निरोगी होकर कम आयु को प्राप्त करना दोनों ही आयुर्वेद में मान्य नहीं है। इसलिए जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लम्बी आयु चाहते हैं, उन सभी को अयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। निरोगी जीवन के बिना किसी को भी धन की प्राप्ति, सुख की प्राप्ति, धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती हैं। रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता है। रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता हैं। हमारा सवस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुऐं बेकार हैं। यदि सवस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों का आनन्द लिया जा सकता है। दुनिया में आयुर्वेद ही एक मात्र शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देता है। बाकी अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियों में " पहले अस्वस्थ बनें फिर आपका इलाज किया जायेगा ", लेकिन गारंटी कुछ भी नहीं है। 

アーユルヴェーダ紹介

アーユルヴェーダとは天竺(インド大陸)の伝統的医学で、その名は生気、生命を意味するサンスクリット語の「アーユス」と知識、学を意味する「ヴェーダ」の複合語です。
アーユルヴェーダが世界中の一番古い医学である。アーユルヴェーダの歴史が約紀元前3,000年から約紀元前50,000年ぐらいであり、世界が出来たタイミングと同一であると言われています。

アーユルヴェーダ上、健康的に生きていけることをダルム(धर्म)と言います。アーユルヴェーダでは不健康に長生きすることと健康であっても短命であること、両方とも良くないと言われています。健康的に長生きする為に、アーユルヴェーダの知識が役に立つでしょう。
不健康な人の人生、生活、仕事などは楽しくありません。健康的に過ごせば世の中のあらゆる経験が楽しく行え、アーユルヴェーダ医学は人間に健康的な生命を与えることが出来ます。
現在の医学は病気になった後で治すコンセプトですが、アーユルヴェーダは、病気にならないような生活の知識を与えてくれるものです。

आयुर्वेद महर्षि परिचय

आयुर्वेद एक शाश्वत ज्ञान एवं सातत्य वाला शास्त्र है। इसकी उत्पत्ति सृष्टि के रचियता श्री ब्रहमाजी के द्वारा हुई ऐसा कहा जाता है। ब्रहमाजी ने आयुर्वेद का ज्ञान दक्ष प्रजापति को दिया। श्री दक्ष प्रजापति ने यह ज्ञान अश्विनी कुमारों को दिया। अश्विनी कुमारों से इंद्र ने यह विद्या प्राप्त की। इंद्र ने धन्वंतरि को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार कहे गए हैं। उनसे जाकर सुश्रुत ने आयुर्वेद पढ़ा। आय़ुर्वेद के आचार्य ये हैं— अश्विनीकुमार, धन्वतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर, सीरपाणि हारीत), सुश्रुत, चरक और वाग्भट्ट।




アーユルヴェーダ マハリシ紹介

アーユルヴェーダ シャーストルの歴史は世界が出来たタイミングと同一であるといわれています。

シャーストル(知識)はブラフマ様に作られてから以下のように継承されて来ました。
ブラフマ神→ダックシュ・プラジャパティ様
ダックシュ・プラジャパティ様→アシュヴァニ・クマール様一同
アシュヴァニ・クマール様一同→インドラ様
インドラ様→ダンヴァントリ神(健康の神様)
カシ(バナラシ)の王様ディヴォダース様がダンヴァントリ様のアバタールとして誕生
ディヴォダース様→スシュルット様

アーユルヴェーダの主なマハリシ(先生)は次の通りです:
アシュヴァニ・クマール様
ダンヴァントリ様
ディヴォダース(カシラージュ)様
ナクル様
サハデーヴ様
アルキ様
チャヴァン様
ジャナク様
ブッダ様
ジャヴァール様
ジャージャリ様
ペール様
カラタ様
アガスタ様
アトリ様と6人の生徒
  − アグニヴェーシュ様
  − ベール様
  − ジャートカルナ様
  − パラシャル様
  − シールパニー・ハーリット様
  − スシュルット様
チャラク様
ヴァーグバット様
इन्ही ऋषियों-मुनियों द्वारा यह ज्ञान पृथ्वी पर फैलता चला गया। आज के काल में भी इस ज्ञान को फैलाने वाले अनेक महान व्यक्ति हुए है जिनमे से तीन प्रमुख नाम सामने आते है— बाबा रामदेव जीश्री बाल कृष्ण आचार्य जी और भाई राजीव दिक्षित जी

上記のリシ、マハリシ達によって、アーユルヴェーダの知識は世界に広められてきました。
現代においては、ババ・ラームデヴ様、バール・クリシュナ・アチャリヤ様とラジーヴ・ディクシット様をはじめとする数人のマハリシがアーユルヴェーダの知識を広めています。


मानव शरीर के ३ मौलिक दोष 

वात, पित्त एवं कफ ये तीन दोष शरीर में जाने जाते है। ये दोष यदि विकृत हो जाएं तो शरीर को हानि पहुंचाते हैं, और मृत्यू का कारण बन जाते हैं। यदि ये वात, पित्त, एवं कफ सामान्य रूप से संतुलन में रहें तो शरीर की सभी क्रियाओं का संचालन करते हुऐ शरीर का पोषण करते है यधपि ये वात, पित्त, कफ शरीर के सभी भागों में रहते हैं, लेकिन विशेष रूप से वात नाभि के नीचे वाले भाग में, पित्त नाभि और हृदय के बीच में, कफ हृदय से ऊपर वाले भाग में रहता है।

トゥリ・ドーシュ(3つの元素)

トゥリ・ドーシュ(3 दोष)説は、人間および環境世界はヴァータ वात ・ピッタ पित्त ・カフ कफ という3要素を持っているとされる考え方です。ヴァータ、ピッタ、カフの量が標準である限り人間は健康でいられますが、そのうち一つでもバランスが崩れると、人間は病気になってしまうそうです。
この3つのトゥリ・ドーシュは、それぞれヴァータが臍(へそ)の下、ピッタが臍と心臓の間、カフが心臓の上のあたりに存在するといわれています。

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